आखीर जमीन के कब्जा करके अतिक्रमण की प्रवृति को स्थानीय प्रशासन रोकता क्यो नही है।
आबादी बढाकर रहने की जगह की कमी होना लाजिमी है।भारत मै करोडो अवैध रूप से बंग्लादेशी,रोहिगयाओ व अफगानिसतान से आऐ लोगो ने शरण लेकर धीरे धीरे आबादी बढने के साथ खाली पडे सरकारी भूमि पर पहले झोपडी बनाकर अतिक्रमण करना शुरू किया।
जिसमे कुछ भूमि माफियाओ ने प्रशासन के नाक के नीचे सरकार जमीन को बेचकर अतिक्रमण शुरू करवाया।
इसमे कुछ राजनीतिक पार्टीज के सह पर अतिक्रमण होने दिया। इन राजनीतिक पार्टीज को ऐ अतिक्रमणकारी खरे सोने के समान भोट बैक नजर आया।
काश्मीर से आसाम,व दक्षिण भारत मै धीरे धीरे सरकारी भूमि व पार्को पर अतिक्रमण होता रहा। प्रशासन मूक रहा।कही प्रशासन ने आवाज उठाई तो स्थानीय MLA/ MP ,पार्षद व यहा तक कि मेयर ने प्रशासन की आवाज दबा दी।
अतिक्रमण जमीन को कब्जा करने की नीति है।हल्द्वानी मै भी सरकारी रेलवे की भूमि को भी इसी प्रकार अतिक्रमण करके कब्जा किया।
धीरे धीरे राजनीतिक पार्टीज के संरक्षण मै अतिक्रमण करके मकान,दुकान,स्कूल, व धार्मिक स्ट्रक्चर बना दिऐ गये।स्थानीय प्रशासन की मदद से ऐसे जमीन जिहादियो के भोटर कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड बनाऐ गये।ऐ लोग कोन है,कहा से आऐ है,इनके जब जानकारी मागी जाती है तो इनके पास दिखाने के लिए कोई सरकारी दस्तावेज, खाता खतौनी, परिवार रजिस्टर की नकल या वंशावली की नकल नही है।
दिल्ली, मुबंई, कलकत्ता, जम्मू कश्मीर के कयी इलाके मै भूमि जिहादी ,एक नीति के तहत बंगलादेशी,व रोहिगयाओ को बसा रहे है।
दिल्ली का शाहीनबाग की तर्ज पर कुछ राजनीतिक पार्टीज इनके बेघर होने का रोना रो रहे है।
सरकारी जमीन-जायदाद पर कब्जा करके ऐ लोग बिजली,पानी का बिल दिखाकर अपना अधिकार जताते है।
सरकार कभी भी जरूरत पडने पर अपनी जमीन वापिस ले सकती है। सरकारी जमीन खाली पडे होने का मतलब यह नही कि कोई भी अतिक्रमण करके उसमे वसागत कर ले।
सरकार इसीलिए देश मै करोडो अवैध रूप से रह रहे लोगो की पहचान करना चाहती है,जो भारत के सीमित शंसाधनो पर बोझ बने है।
लेकिन विपक्षियो को अपना भोट बैक खिसकता नजर आ रहा है, इसीलिए वे इन अतिक्रमण करने वालो की पैरवी कर रहे है। साथ ही मानवता की दुहाई दे रहे है।पिछले साठ सालो मे तुष्टीकरण के तहत कोई भी बहुसंख्यक कल्याण के लिए अध्यादेश या कानून नही बनाऐ गये।
बल्कि अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के तहत धारा-30,30A act के तहत हिन्दूओ को स्कूल कालेज मै धार्मिक शिक्षा पढाने पर रोक लगाई गयी।
1954 मे नेहरू ने वक्त बोर्ड बनाया,1973 मै अल्पसंख्यक बोर्ड का गठन किया गया।
1991 मे उपासना एक्ट बनाया गया। 1992 मै फिर Minority act ,1995 मै वक्त बोर्ड एक्ट बनाकर ,वक्त बोर्ड को असीमित कानूनी अधिकार दिऐ गये।
जिसमे वक्त बोर्ड का ही जज होगा,वकील होगा व सदस्य भी उन्ही के होगै। आपके संपत्ति पर अगर वक्त बोर्ड ने दावा कर दिया कि यह वक्त बोर्ड की संपत्ति है तो आप कोर्ट भी नही जा सकते,आपको पहले वक्त बोर्ड मै जाकर Proof करना होगा कि यह संपत्ति आपकी है।कहने को तो प्रजातंत्र है,व देश secular है लेकिन हिन्दूओ के विरूद्ध जो बडे शातिराना तरीके से साजिस चल रही है।
उसे आम हिन्दू नही समझ पा रहा है ।secular का मतलब सबके लिए समान कानून व नियम है,तो देश मै अलग अलग कानून किसलिऐ.
इसीलिए मोदी जी समान नागरिक अधिकार कानून लाकर एक देश ,एक कानून ला रही है। ताकि सभी नागरिको को समान नागरिक अधिकार मिल सके।भारत मै मोदी सरकार NRC लाई।
जिसका विरोध सभी ने दिलली के शाहीनबाग मै देखा। जिसमे विपक्षी नेताओ ने बढचढकर भाग लिया। मोदी जी का विरोध करने का विपक्षी राजनीतिक पार्टीज ,झूठे, दुष्प्रचार, अफवाह फैलाकर जनता को भर्मित कर रहे है। ताकि 2014 से पहले हुऐ,भारी भ्रष्टाचार, व देश की संपत्ति की लूट से जनता का ध्यान हटा सके।
लेकिन जनता समझदार है। ऐसे झूठे प्रचार मै आसानी से फिसलने वाली नही है। 2008 मै देश के विभिन्न भागो मै आतंकवादियो के द्वारा मारे गये निर्दोष लोगो की घटना को कोन भूल सकता है।
26/11 मुबंई घटना मै पाकिस्तान द्वारा आयोजित किऐ नरसंहार को कोई कैसे भूल सकता है। जिसमे पाकिस्तान को छोड दिया गया। सरकार को अतिक्रमण पर कोई दया या संवेदना नही दिखानी चाहिए। नही तो जो इमानदार नागरिक है।
उनके विश्वास को भारी ठेस पहुंचेगी। कानून के प्रति आस्था खत्म हो जाऐगी। कोर्ट का फैसला अंतिम है। कोर्ट हमारे लोकतंत्र का तीसरा मजबूत स्तम्भ है। इसकी गरिमा बनाऐ रखना ,सरकार व जनता का काम है। सत्य की रक्षा होनी चाहिए। नही तो लोगो का कानून के प्रति आस्था पर भारी ठेस लगेगी। नही तो धीरे धीरे पूरे भारत मै अतिक्रमणकारीयो का राज होगा।
नागरिक अधिकारो की रक्षा कानून ही कर सकता है। कोर्ट का फैसला धरातल पर लागू होना चाहिए। तभी प्रजातंत्र मजबूत व सुरक्षित रहेगा। भारतीयता हमारी पहिचान है।