इंदौर. आज मोबाइल रेडिएशन से होने वाली बीमारियां बड़ी समस्या है। कुछ लोग शिकायत लेकर आते हैं कि मोबाइल के ऑन होने से उन्हें सिरदर्द व पेटदर्द होता है। मेडिकल साइंस की दूसरी ब्रांजेस इसके लिए कोई मेडिसिन नहीं खोज पाई हैं, लेकिन हौम्योपेथी में इसके लिए मेडिसिन है।
इस मेडिसिन का नाम रेडिएशन २०० है। ये बात नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी कोलकाता के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सुनिर्मल सरकार ने कही। वे रविवार को आनंद मोहन माथुर सभागृह में होने जा रही च्मटेरिआ मेडिका लाइवज् कॉन्फ्रेंस में बतौर कीनोट स्पीकर शामिल होने के लिए शहर आए हैं।
बीमारी नहीं बीमार का इलाज करते हैं
वे बताते हैं कि हौम्योपेथी में नेशनल और इंटनेशनल लेवल पर रिसर्च की जा रही है और ऐसे कैंसर जिसमें जीवित रहने के चांस बहुत कम होते हैं, उस स्टेज पर भी कई पेशेंट ठीक हुए हैं। मेरा मानना है कि सारी मेडिकल साइंस को साथ मिलकर काम करना चाहिए। वे बताते हैं कि हौम्योपैथी बीमारी का नहीं बीमार का इलाज करती है। इसमें पेशेंट क ी बीमारी को लेकर प्रतिक्रिया के हिसाब से दवाई तैयार करते हैं।
चिकनगुनिया और डेंगू जैसी बीमारियां पूरे देश में फैली हैं, लेकिन हर राज्य, शहर और गांवों में इसके लक्षण अलग-अलग है। ऐसे में एक एलोपैथी दवा असरकारक सिद्ध नहीं हो रही है। इनमें में होम्योपैथी के परिणाम बेहद अच्छे मिल रहे हैं क्योंकि होम्योपैथी में हम बीमारियों से ज्यादा लक्षणों के इलाज पर काम करते हैं।
लक्षण सुधरते हैं तो मरीज को फायदा मिलता है। एक ही बीमारी के लिए कई तरह की दवाइयां तैयार की जाती है। सिर्फ सिरदर्द की बात करें तो होम्यौपेथी में इसके लिए १२०० तरह की दवाइयां बताई गई हैं।
एक केस के बारे में उन्होंने बताया कि बर्थमार्क मेडिकल की किसी विधा में नहीं हटाया जा सकता, लोग प्लास्टिक सर्जरी आदि महंगे इलाज की तरफ रुख करते हैं जबकि हम होम्योपैथी में अनचाहे बर्थमार्क को भी खत्म करते हैं।